क्यों नहीं रह पाया कूल कूल
क्यों नहीं रह पाया कूल कूल क्या फिर हो गयी वही भूल
छीनकर जिसने जीवन का सुख दिया था सिर्फ शूल शूल
मिलन की लगन और विरह के अगन
के द्वन्द मे कैसे फंस गया
क्यों बड़ाकर रफ़्त एक कारवां से यात्रा के उद्देश्य से ही भटक गया
सॉरी यार मैंने अपनी परेशानी मैं तुम्हे भी शामिल कर लिया
निभायी तुमने सहयात्री का फ़र्ज मै जीने का अर्ज समझ लिया
जीवन को समझना इतना आसान नहीं , हो ही जाती है ऐसी भूल
भूल मेरी इस नादानी को एक आइसक्रीम हो जाय
ताकि मैं फिर से बन जाऊ मिस्टर ओ. पी . कूल

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