Tuesday, November 8, 2016

है ज़िन्दगी नाम इसी का कि
घरों की खिड़कियों पर
झालड़ अब भी थे पटे हुए,
और चिराग़ जो थे घर के
यूँही चुपके से निकल गए!

चिराग राैशन रहे
हमसब की दुआ है
आप जहॉं गये
जग राेशन हुआ है.
ऐसे देदीप्यमान काे
घर में राेकें ऐसे हम नहीं
जहाँ जगमगाये घर अंधेरा भी रहे
ताे काेई गम नहीं

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