अपने ही घर में, अपने लिए
ऐक जगह ढूंढता रह गया
जिंदगी को जीने की
एक वजह ढूंढता गया...
औपचारिकता की जमीन पर,
समझौता की दीवार में बंधा रह गया
झूठी मूल्यों मान्यताओं के परिवेश को
घर समझता रह गया.
अपने ही घर में........
पाषण बन आश्रय देने के वहम में
जिंदगी तबाह करता रह गया
गैरों में अपनाे को तलाशता
रिश्तों की भीड़ में तन्हा जिंदा रह गया
अपने ही घर में.......
ओ ० पी ०
ऐक जगह ढूंढता रह गया
जिंदगी को जीने की
एक वजह ढूंढता गया...
औपचारिकता की जमीन पर,
समझौता की दीवार में बंधा रह गया
झूठी मूल्यों मान्यताओं के परिवेश को
घर समझता रह गया.
अपने ही घर में........
पाषण बन आश्रय देने के वहम में
जिंदगी तबाह करता रह गया
गैरों में अपनाे को तलाशता
रिश्तों की भीड़ में तन्हा जिंदा रह गया
अपने ही घर में.......
ओ ० पी ०